राजस्थान सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक साल पुराने जमीनी विवाद से जुड़े केस की फाइल अब पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) ऑफिस से सीआईडी-सीबी को भेजी गई है। ऐसे में अब गुढ़ा के लिए परेशानी बढ़ सकती है।
इधर, सरकार ने गुढ़ा के करीबियों पर भी एक्शन शुरू कर दिया है। भ्रष्टाचार के मामले में गुढ़ा के करीबी उदयपुरवाटी (झुंझुनूं) नगर पालिका के चेयरमैन रामनिवास सैनी को स्वायत शासन विभाग (DLB) ने सस्पेंड कर दिया है।
वहीं, इससे पहले इसी जमीनी विवाद में गुढ़ा के निजी सहायक (PA) दीपेंद्र सिंह और साले अभय सिंह की गिरफ्तारी हो चुकी है। दावा किया जा रहा है कि पुलिस पूछताछ और जांच में कहीं न कहीं गुढ़ा की भी भूमिका सामने आई थी।
गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में लिया था गुढ़ा का नाम
दरअसल, मामला एक साल पहले जयपुर ग्रामीण के गोविंदगढ़ के बलेखन गांव का है। यहां अफ्रीका में रहने वाले डॉक्टर बनवारी लाल मील का हॉस्पिटल है। जानकारी के अनुसार 20 अगस्त 2022 को हॉस्पिटल में कब्जा करने के लिए बड़ी संख्या में अभय सिंह कुछ बदमाशों को लेकर पहुंचा था।
पुलिस ने उस दौरान ग्रामीणों की मदद से 14 लोगों को हॉस्पिटल पर कब्जा करने के मामले में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान पुलिस ने गुढा के पीए दीपेन्द्र सिंह और बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता को भी गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों से हुई पूछताछ के बाद पुलिस ने बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढा को भी इस मामले में आरोपी मानते हुए नामजद किया था। उस समय गुढ़ा मंत्री थे इसलिए पुलिस एक्शन से भी बचती रही।
जानकार सूत्रों की मानें तो पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी ने इस फाइल पर गुढा के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। जानकार सूत्रों की मानें तो जयपुर ग्रामीण पुलिस इस फाइल पर पूरा काम कर चुकी है। केवल औपचारिकता के लिए फाइल को सीआईडी सीबी के पास भेजा गया है। अब जल्द ही गुढ़ा की गिरफ्तारी के आदेश जारी हो सकते हैं।
दरअसल, विधायक,मंत्री, एमपी के खिलाफ दर्ज केस की जांच एक बार सीआईडी सीबी से कराने का नियम है। इसलिए फाइल को पुलिस मुख्यालय में सीआईडी सीबी को भेजी गई है।
अध्यक्ष पद से किया गया सस्पेंड
पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के करीबी और उदयपुरवाटी के नगर पालिका चेयरमैन रामनिवास सैनी को डीएलबी विभाग ने अध्यक्ष और पार्षद पद से निलंबित कर दिया है।
दरसअल साल 2022 में हुई चार बागवानों की भर्ती को गलत मानते हुए कुछ पार्षदों ने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि जिन चार पदों पर भर्ती की गई वे स्वीकृत ही नहीं थे। नगर पालिका अध्यक्ष ने मिलीभगत करके जिन चार जनों को नियुक्ति दी वे आपस में रिश्तेदार हैं।
इस प्रकार भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से अनियमित माना गया व मिली भगत करके नियम विरुद्ध की हुई माना गया।
दो बार विधायक के चुनाव में हारे
उदयपुरवाटी में पालिका चुनाव के दौरान गुढ़ा ने ही रामनिवास सैनी को पालिकाध्यक्ष बनवाया था। इससे पहले सैनी 1998 और 2003 में दो बार विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं।
दोनों ही चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट से लड़े, लेकिन दोनों बार हार गए। साल 2010 में उन्होंने भाजपा की टिकट पर नगरपालिका चेयरमैन का चुनाव भी लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। पिछले निकाय चुनाव में उन्होंने पार्षद का चुनाव लड़ा, जिसमें कांग्रेस को बहुमत मिला और रामनिवास सैनी पालिकाध्यक्ष चुने गए।
बताया जा रहा है कि नगर पालिका में बागवानों की भर्ती प्रकरण में भ्रष्टाचार व अनियमितता का मामला लंबे समय से चल रहा था। सैनी को पूर्व में दोषी भी मान लिया गया था, लेकिन गुढ़ा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके निलंबन आदेश को रोक रखा था।
मंत्री गुढ़ा के बर्खास्त होने के चार दिन बाद ही चेयरमैन सैनी का निलंबन आदेश जारी हो गया।